Monika garg

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लेखनी कहानी -06-Sep-2022# क्या यही प्यार है # उपन्यास लेखन प्रतियोगिता# भाग(11))

गतांक से आगे:- 


रानी फल खा कर सो गयी उसे स्वप्न मे बहुत सी चीजें दिखाई दी । सिंह, हाथी, तराजू, स्वर्ण कलश।

उसने सुबह उठकर अपने पति राजा पदमसेन से स्वप्न की सारी बात बता दी।

राजा ने जब राजगुरु को रानी के स्वप्न के विषय में बताया। राजगुरु ने सपने की फाल निकाली तो बताया ,"राजन  रानी ने स्वप्न उषाकाल मे देखा है और सपने मे जो भी चीजें दिखाई दी है उस से यही लगता है रानी और आप शीघ्र ही पुत्र रत्न प्राप्त करने वाले है।"

राजा पदमसेन की प्रसन्नता का ठिकाना नही रहा ।वे आश्रम के लिए सहयोग राशि देकर महल आ गये।तभी दासी ने आकर खुशखबरी दी कि रानी जी पेट से है। नौवें महीने रानी के गर्भ से बहुत ही सुन्दर ,तेजवान पुत्र उत्पन्न हुआ।

राजा पदमसेन ने प्रजा मे खूब अन्न धन बंटवाया।और सात दिन तक लगातार ढोल नगाड़े बजते रहें महल के दरवाजे पर।राजा पदमसेन ने पुत्र का नाम सूरजसेन रखा। सूरजसेन बड़ा ही मेधावी और कुशाग्रबुद्धि का स्वामी था ।वो छोटी छोटी बातों पर भी ध्यान देता था और तुरंत सीख जाता था। मां बाप की आंखों का तारा था सूरजसेन।

बहुत छोटी सी उम्र मे शिकार करना सीख गया था । मां रूपावती तो डरती थी बेटे को इतनी छोटी उम्र मे शिकार के लिए जंगल भेजने मे पर पिता पदमसेन हमेशा कहते,"रानी शेर का बेटा शिकार ही करते अच्छे लगते है आप चिंता ना करे हम राजकुमार के साथ एक सेना की टुकड़ी भी भेज देते है ।ताकि उनकी सुरक्षा व्यवस्था मे कोई आंच न आए।"


धीरे धीरे राजकुमार सूरजसेन बहुत ही बढ़िया आखेट करने लगे ।साथ साथ युद्ध कला मे भी माहिर हो रहे थे । राजकुमार सूरजसेन मे एक गुण था वो बहुत जल्दी भावुक हो जाते थे।

धीरे धीरे समय बीतने लगा राज कुमार युवावस्था मे आ गये।एक दिन आखेट के लिए जंगल मे गये तो घोड़े को जोर से ऐड लगा दी । राजकुमार सूरजसेन का घोड़ा हवा से बाते करने लगा और घने जंगल मे ले जाकर पटक दिया।एक बार तो राजकुमार घबराये लेकिन फिर स्थिति को देखते हुए अपने आप को बचाने के उद्देश्य से एक पेड़ पर चढ़ गये ।तभी उन्हें एक चीख सुनाई दी।


जोगिंदर किताब मे उस महल के राजघराने के विषय मे पढ़ता चला जा रहा था उसे ऐसे लग रहा था जैसे ये सब उसने अपनी आंखों से देखा हो ।उसने कलाई घड़ी मे देखा साढ़े नौ बज गये थे उसकी क्लास का समय हो गया था ।वो लाइब्रेरी से उठा और अपनी क्लास की ओर जा रहा था कि तभी उसके कानों मे कोई फुसफुसाया,"कहानी पूरी पढ़ना बीच मे मत छोड़ना।"


जोगिंदर ने हैरानी से चारों ओर देखा उसे कोई दिखाई नही दिया ।अब उसे समझ आ गया था कि उसके आसपास कोई आत्मा है जो उससे सम्पर्क साधना  चाहती है ।वह चुपचाप अपनी क्लास अटेंड करने चला गया 

जोगिंदर की लगातार क्लास चल रही थी जबकि नरेंद्र पांच क्लास लगाकर होस्टल आ गया। जोगिंदर तीन बजे के करीब कालेज से फ्री हुआ ।आज बड़ा मजा आया उसने बहुत से दोस्त बनाएं। कुछ स्थानीय भी थे।जिनसे उसे शहर के विषय मे बहुत कुछ पता चला।

वह भी होस्टल आ गया । नरेंद्र पहले ही आ गया था तो उसका खाना वो कमरे मे ले आया था।

जोगिंदर को कमल की बात याद आ गयी कि शाम के समय स्नानघर में भीड़ हो जाती है इसलिए भोजन करने से पहले ही वह नहा धो लिया ।कमरे मे आकर उसने खाना खाया और थोड़ी देर अपने बिस्तर पर आराम करने लगा । उसे आज जो भी उस किताब में पढ़ा था वो विचलित कर रहा था और फिर किसी का कानों में फुसफुसाना"कहानी पूरी पढ़ना बीच मे मत छोड़ना "उसे अंदर से हैरान परेशान कर रहा था ।वह बस यही बार बार सोच रहा था कि वो कौन है और मुझसे क्या चाहती है ,कभी मुझे रोती दिखाई देती है तो कभी अपनी पायल की आवाज से मुझे आकर्षित करती है।कभी कही चलने को बोलती है ।कल लाल गुलाब दरवाजे पर रखा मिला जो मुझे ही दिखा और सुबह गायब था।आज भी मुझे वो कहानी पूरी पढ़ने को बोलती है । आखिर क्या बात है जो ये सब मेरे साथ ही हो रहा है । नरेंद्र,कमल,नोबीन को कुछ दिखाई नही देता।

जोगिंदर ये सब सोच ही रहा था कि सारे दिन का थका होने से उसकी आंख लग गयी ।उसे स्वप्न मे रमनी दिखाई दी जैसे वो उसकी ओर दौड़ी चली आ रही है और कोई अदृश्य शक्ति उसे उससे दूर लिए जा रही है ।वह रमनी को चिल्ला चिल्ला कर बुला रहा है अपने पास पर वै उसे छू नहीं पा रहा।तभी हड़बड़ाहट मे उसकी आंख खुल गयी ।उसे यूं हड़बड़ी मे उठा देखकर नरेंद्र बोला,"फिर कोई सपना देख लिया क्या भाई?"

जोगिंदर उसे सब बताना चाहता था लेकिन वो कुछ मानने के लिए तैयार ही नही था तो उसने बहाना बना दिया कि नही उसे याद आ गया कि आज प्रोफेसर श्याम ने कुछ नोट्स तैयार करने को कहा था उसको याद करके ही उसकी आंख खुल गयी।

नरेंद्र भी सहानुभूति दिखाता हुआ बोला,"हां जोगिंदर मन लगाकर नही पढ़ेंगे तो अव्वल कैसे आये गे ।हमे अपने गांव का नाम भी रोशन करना है।"

जोगिंदर मुंह धोकर और नींद खोल कर किताबें लेकर नोट्स बनाने लगा जो वो आज ही लाइब्रेरी से इशू करवा कर लाया था। लेकिन जोगिंदर का मन बार बार वो अधूरी कहानी पढ़ने का कर रहा था ।उसने फटाफट एक डेढ़ घंटे मे सारे नोट्स बना लिए।

नरेंद्र इस बीच कमरे से बाहर चला गया था ।शायद कमल और नोबीन से मिलने गया था । क्यों कि उनके कमरे मे तो बाहर से कोई आवाज नही आती थी जोगिंदर ने कमरे से बाहर जाकर देखा तो नरेंद्र की आवाज आ रही थी उनके कमरे से शायद रसगुल्लों पर बात चल रही थी । जोगिंदर को तो किताब पढ़ने की बेचैनी थी इसलिए वह वहां ना जाकर कमरें मे ही वापस आ गया और किताब खोलकर फिर से पढ़ने लगा।आज उसने पूरा मन बना लिया था कि अगर अब कोई मेरे कानों मे फुसफुसाया तो मै पूछ ही लूंगा कि "आप कौन है ओर मुझसे क्या चाहती हैं।"

जोगिंदर आगे पढ़ने लगा

' चीख सुनकर सूरजसेन ने चारों तरफ देखा एक लड़की बदहवास दौड़ती हुई उस पेड़ की ओर आ रही है जिस पेड़ पर सूरजसेन बैठा था ।उसने देखा एक भेड़िया उस लड़की के पीछे दौड़ रहा था । राजकुमार को ये साफ नजर आ रहा था कि वो लड़की किसी भी समय उस भेड़िए का शिकार हो सकती थी तभी सूरजसेन ने पेड़ से छलांग लगा कर अपनी कटार निकाल कर भेड़िए के सीने मे घोप दी।वह वही ढेर हो गया । लड़की अनजाने मे ही राजकुमार सूरजसेन के सीने से लिपट गयी।डर की अधिकता के कारण उसको वो स्थान ही सबसे सुरक्षित लगा।

इधर सूरजसेन के लिए भी किसी नारी के संसर्ग मे आने का पहला अनुभव था ।वो इस स्थिति मे ना जाने कितनी देर तक खड़े रहे ।

थोड़ी देर बाद जब उन्हें चेतना आई तो दोनों एक दूसरे से अलग हुए। लड़की पहनावे से कोई बंजारन लग रही थी । राजकुमार सूरजसेन ने पूछा,"क्या नाम है तुम्हारा?"


(क्रमशः)

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10 Comments

Mithi . S

18-Sep-2022 04:50 PM

Nice post

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Chirag chirag

17-Sep-2022 06:16 PM

Beautiful part

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Pallavi

17-Sep-2022 05:03 PM

Beautiful

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